कहें भी तो कहें किसको, की हमारा खो गया क्या?
किसी को क्या की हमको, ये हो गया क्या?
खुली आँखों से अब नज़र आता नही कुछ,
सबसे पूछता फिरता हूँ, कि वो गया क्या?
देखो देखो, राहो की उदासी कुछ कह रही है,
रास्ते मे मुसाफ़िर कही खो गया क्या?
ये शहर इस कदर कब सुनसान था भला,
देखो न मेरा दिल भी कही सो गया क्या?
✍🏻✍🏻
~मोhit
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